WORK FROM HOME PACKING JOB

आपको बता दू आज के जमाने में लगभग हर चीज में बिज़नेस है जैसे की घर बैठे पैकिंग का काम, आप अगर इस काम में माहिर हो गए और आपको डीलरशिप की सारी जानकारी मिल गयी, तो आप खुद का एक ‘घर बैठे पैकिंग का बिज़नेस’ चला सकते हैं और दूसरों को नौकरी दे सकते … Read more

मारवाड़ का राठौड़ वंश एवम् इस वंश के प्रतापी शासक 

मारवाड़ का राठौड़ वंश एवम् इस वंश के प्रतापी शासक 

मारवाड़ का राठौड़ वंश एवम् इस वंश के प्रतापी शासक  जिस प्रकार दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान के गुहिलों का शासन मेवाड़ और वागड़ प्रांत में स्थापित हुआ, उसी प्रकार राजस्थान के उत्तरी तथा पश्चिमी भागों में राठौड़ों के राज्य भी स्थापित हुए। राठौड़ की उत्पत्ति का विषय विवादास्पद है। विभिन्न ताम्रपत्रों, शिलालेखों और प्राचीन पुस्तकों में राठौड़ … Read more

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय – 3

महाराणा प्रताप- (1572 3597 ई.) 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में जन्मे प्रताप 1572 ई. में मेवाड़ के शासक बने। महाराणा उदयसिंह ने जगमाल को अपना उत्तराधिकारी बनाया था, मगर सरदारों ने उसे स्वीकार नहीं किया और प्रताप को गद्दी पर बिठा दिया। इस समय दिल्ली पर मुगल बादशाह अकबर का शासन था। प्रताप के … Read more

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय – 2

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय - 2

महाराणा कुंभा (1433-1468 ई.)  मोकल के बाद उसका पुत्र महाराणा कुंभा 1433 ई. में मेवाड़ का शासक बना। राठौड़ों का मेवाड़ पर प्रभाव समाप्त कर उसने मेवाड़ी सामंतों का विश्वास अर्जित किया। कुंभा ने चित्तौड़ एवं कुंभलगढ़ को अपनी शक्ति का केन्द्र बनाया। 1437 ई. में सारंगपुर के युद्ध में मालवा के शासक महमूद खिलजी … Read more

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय

rajasthan ke parmukh rajput vansho ka parichay

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय गुहिल वंश एवं इस वंश के प्रतापी शासक उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ तथा इनके आस-पास का क्षेत्र मेवाड़ कहलाता था। गुहिल वंश ने मुख्यतः मेवाड़ में शासन किया। इस वंश का नामकरण इस वंश के प्रतापी शासक ‘गुहिल’ के नाम से हुआ। गुहिल वंश की उत्पत्ति और मूल … Read more

राजस्थान के जनपद | Rajasthan ke Janpad

rajasthan ke janpad

आर्यों के प्रसार के अन्तर्गत और उसके पश्चात् भारत के अन्य भागों की भाँति राजस्थान में भी अनेक जनपदों का उदय, विकास और पतन हुआ। बौद्ध साहित्य (बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय से हमें 16 महाजनपदों की सूची प्राप्त होती हैं) में जिन 16 महाजनपदों का उल्लेख हुआ हैं उनमें से मत्स्य जनपद तो राजस्थान में … Read more

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं

राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं “कालीबंगा सभ्यता प्राचीन दृषद्वती और सरस्वती नदी घाटी (वर्तमान में घग्घर नदी का क्षेत्र) क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता से भी प्राचीन कालीबंगा की सभ्यता विकसित हुई। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित यह सभ्यता आज से 6 हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन मानी जाती है। इस स्थल का कालीबंगा नाम … Read more

Rajasthan Ka Ittihaas – EK parichay

RAJASTHAN KA ITTIHAAS

1949 ई. से पूर्व राजस्थान नाम से किसी भौगोलिक इकाई का अस्तित्व नहीं था। ऐसा माना जाता है कि 1800 ई. में सर्वप्रथम जॉर्ज थामस ने इस भू-भाग के लिए ‘राजपूताना’ शब्द का प्रयोग किया था। इसके बाद 1829 ई. में एनल्स एण्ड एण्टीक्वीटीज ऑफ राजस्थान के लेखक कर्नल जेम्स टॉड ने इस पुस्तक में … Read more

सार लेखन अथवा संक्षिप्तीकरण | SAAR LEKHAN

SAAR LEKHAN

किसी गद्यांश अथवा पद्यांश के मूल पाठ या भावार्थ में किसी प्रकार का परिवर्तन किए बिना उसे लगभग एक तिहाई शब्दों में लिखना सार लेखन अथवा संक्षिप्तीकरण कहलाता है। यह सक्षेप में इस तरह होना चाहिए कि अनुच्छेद की मूल भावना खंडित न हो। संक्षेपण की आवश्यकता मनुष्य के आज के व्यस्ततम जीवन में समयाभाव … Read more

भाव विस्तार / पल्लवन (वृद्धीकरण) BHAV VISTAAR

भाव विस्तार / पल्लवन (वृद्धीकरण) – (वृद्धीकरण)भाव विस्तार, विस्तार लेखन, पल्लवन, वृद्धीकरण अथवा संवर्द्धन का आशय किसी संक्षिप्त, गूढ, पंक्ति, काव्य-सूक्ति, गद्य-सूक्ति अथवा विचार-सूक्ति की विस्तारपूर्वक, सोदाहरण विवेचना करने से है जिसमें लेखक सामान्य पाठक के लिए उस सूक्ति की विस्तृत बातों को बोधगम्य बनाता है। यद्यपि उस काव्य सूक्ति या गद्य-सूक्ति में छिपा हुआ … Read more